अब दिल्ली की लड़ाई लड़ेंगे उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल से किया ये बड़ा वादा

Kejriwal meets Uddhav: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र के खिलाफ लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और उनसे समर्थन की अपील कर रहे हैं. इस क्रम में उन्होंने मंगलवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. सीएम ममता केंद्र अध्यादेश के खिलाफे अरविंद केजरीवाल को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. ममता से मुलाकात के बाद बुधवार को केजरीवाल ने शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की.

 अब दिल्ली की लड़ाई लड़ेंगे उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल से किया ये बड़ा वादा

 

उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने दिल्ली के नौकरशाहों पर नियंत्रण रखने वाले सरकार के विशेष आदेश को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी के समर्तन का वादा किया है. अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे पर मातोश्री में विस्तार से चर्चा की. इस मुलाकात में केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे. केजरीवाल के साथ आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा के साथ ही दिल्ली की मंत्री आतिशी भी मौजूद थीं.

केजरीवाल ने कहा, "उद्धव ठाकरे ने हमसे वादा किया है कि वे संसद में हमारा समर्थन करेंगे और अगर यह विधेयक (अध्यादेश) संसद में पारित नहीं होता है, तो 2024 में मोदी सरकार सत्ता में वापस नहीं आएगी." उन्होंने कहा कि इनके (केंद्र सरकार) मंत्री, नेता जजों को गालियां देते हैं, एंटीनेशनल बोलते हैं. इनका न्यायतंत्र पर कोई भरोसा नहीं है. जब किसी आदमी को अहंकार हो जाता है तो वह स्वार्थी हो जाता है और ऐसा आदमी देश नहीं चल सकता. शिवसेना ने हमे वादा किया है कि राज्यसभा में इस अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली वालों का समर्थन करेंगे. दिल्ली के लोगों की तरफ से मैं शिवसेना और उद्धव जी का शुक्रिया अदा करता हूं.

वहीं, उद्धव ठाकरे ने राज्यसभा में केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस का विरोध करने का वादा किया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम देश प्रेमी हैं. विपक्ष उन्हें कहा जाना चाहिए जो देश से लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं. एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि राज्यों में चुनाव न हों, केवल केंद्र में चुनाव हो.

केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश पेश किया. जिसे आप सरकार ने सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यकारी नियंत्रण में थे. 


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