21 Cannon Salute: भारत की आजादी से पहले ब्रिटिश क्राउन के सम्मान में 101 तोपों की सलामी दी जाती थी. लेकिन आगे चलकर इस सलामी को 101 से घटा कर 21 तोपों की सलामी कर दिया गया.
Twenty-One Cannon Salute: आपने कभी ना कभी 21 तोपों की सलामी के बारे में जरूर सुना होगा. हर साल 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रगान के समय 21 तोपों की सलामी दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये 21 तोपों की सलामी क्यों दी जाती है और इसके पीछे क्या राज छिपा है? इसके अलावा अगर आपको यह लगता है कि 21 तोपों की सलामी 21 अलग-अलग तोपों से दी जाती है, तो बता दें कि आप यहां भी गलत है. क्योंकि इसका गणित कुछ और ही है. आइये आज हम आपको 21 तोपों की सलामी के से जुड़े सभी राज के बारे में विस्तार से बताते हैं.
आखिर 8 तोपों से कैसे दी जाती है 21 तोपों की सलामी?
आजाद भारत में 21 तोपों की सलामी की प्रथा देश के पहले गणतंत्र दिवस से ही चली आ रही है. लेकिन बता दें कि 21 तोपों की सलामी 21 अलग-अलग तोपों से नहीं दी जाती है. दरअसल, 21 तोपों की सलामी 7 अलग-अलग तोपों से दी जाती है और हर एक तोप से 3 गोले दागे जाते हैं. इस प्रकार 21 तोपों की सलामी पूरी होती है. लेकिन बता दें कि गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान 7 के बजाय 8 तोप लाई जाती है, ताकि किसी भी तोप के काम ना करने पर इमरजेंसी में एक्सट्रा तोप का इस्तेमाल किया जा सके.
हर 2.47 सेकेंड में ही क्यों दागा जाता है गोला
इसके अलावाव हर एक तोप से हर 2.47 सेकेंड में एक गोला दागा जाता है. ऐसा करने के पीछे भी एक खास वजह है. दरअसल, हमारा राष्ट्रगान 52 सेकेंड का होता है और हर 2.47 सेकेंड में एक गोला दागने पर 21 तोपों की सलामी भी कुल 52 सेकेंड में पूरी हो जाती है.
तोप से गोला दागने पर क्यों नहीं होता कोई नुकसान
अब बात करते हैं 21 तोपों की सलामी के दौरान देगे जाने वाले गोलों की. सवाल यह है कि क्या तोप से दागे जाने वाले गोले असली होता है? गोले अगल असली होते हैं, तो क्या उन्हें दागने से कोई नुकसान भी होता है? सबसे पहले बता दें कि इन दोनों ही सवालों का जवाब है "नहीं". दरअसल, सलामी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले गोले खास तरह से बनाए जाते हैं और इन गोलों को सेरेमोनियल सेल्यूटिंग कार्टरेज (Ceremonial Saluting Cartridges) कहा जाता है. ये अंदर से पूरी तरह से खाली होते हैं. इसलिए गोले दागने के बाद इनसे केवल आवाज आती है और धुआं होता है. इसे दागने पर कहीं कोई ब्लास्ट नहीं होता, जिस वजह से किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं होता है.
ब्रिटिश हुकूमत के समय दी जाती थी 101 तोपों की सलामी
बता दें कि आजादी से पहले भी 21 तोपों की सलामी का चलन था. शुरू में ब्रिटिश क्राउन के सम्मान में 101 तोपों की सलामी दी जाती थी. इसे शाही सलामी भी कहा जाता था, लेकिन बाद में इस प्रथा में बदलाव किया गया और ब्रिटेन की महारानी और शाही परिवार के सदस्यों को 31 तोपों की सलामी दी जाने लगी. इसके बाद राज्यों के वायसराय और गवर्नर जनरल को भी तोपों की सलामी दी जाने लगी. हालांकि, ये सलामी 21 तोपों की होती थी. इसी को देखते हुए ब्रिटिश हुकूमत ने यह तय किया कि अंतर्राष्ट्रीय सलामी 21 तोपों की ही कर दी जाए और तभी से 21 तोपों की सलामी का चलन चला आ रहा है.
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