मध्य प्रदेश में मंदिर के बाहर लिखा- यहां अनुसूचित जाति के लोगों का प्रवेश मना है, बवाल हुआ तो..

अनुसूचित जाति के लोगों के प्रवेश पर बैन के नोटिस पर बुधवार रात प्रदर्शनकारियों ने हाईवे को जाम कर दिया और कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. इसके बाद पुलिस ने 50 वर्षीय प्रह्लाद विश्वकर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया.



मध्य प्रदेश के धार जिले में शिव मंदिर बनाने वाले शख्स के खिलाफ आरक्षित वर्ग को लोगों को बैन किए जाने के आरोप में केस दर्ज किया गया है. दरअसल, कारोबारी ने धार जिले के एक गांव में शिव मंदिर बनवाया था और मंदिर के बाहर अनुसूचित जाति के लोगों के प्रवेश पर बैन लगा दिया था, इस संबंध में कारोबारी द्वारा नोटिस जारी किया गया था.

इस नोटिस के जारी किए जाने के बाद बुधवार रात प्रदर्शनकारियों ने हाईवे को जाम कर दिया और कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. इसके बाद पुलिस ने 50 वर्षीय प्रह्लाद विश्वकर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया. यह मंदिर इंदौर से लगभग 165 किमी दूर कुक्षी के लोहारी गांव में है.





शिकायतकर्ता धनराज बलाई ने कहा, “मैं बुधवार दोपहर करीब 3:30 बजे बड़गांव गांव से अपने घर लौट रहा था, तभी मैंने लोहारी में नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के बाहर एक पोस्टर देखा, जिसमें आरक्षित वर्गों के प्रवेश पर प्रतिबंध की बात लिखी गई थी. पोस्टर में यह भी उल्लेख किया गया था कि यह मंदिर निजी संपत्ति है. धनराज ने कहा कि वो नोटिस को देखकर हैरान रह गया और उसने अपने परिवार और दोस्तों को इसके बारे में बताया.

ग्रामीणों ने प्रह्लाद से उसके मंदिर के बाहर लगे नोटिस को लेकर विरोध किया लेकिन उसने यह तर्क देते हुए उनकी बात सुनने से इनकार कर दिया कि यह उसका 'निजी मंदिर' है, इसलिए वह कुछ भी कर सकता है. उन्होंने कथित तौर पर जातिसूचक टिप्पणी भी की.

यह खबर जिले में जंगल की आग की तरह फैल गई, जहां मुख्य रूप से एससी और एसटी आबादी है. विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये. आरोपियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर जयस (जय आदिवासी युवा संगठन) के सदस्यों ने बुधवार रात कुक्षी-मनावर रोड जाम कर दिया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सख्त कार्रवाई का वादा किया और उन्हें नाकाबंदी हटाने के लिए मनाया.

धार एएसपी देवेंद्र पाटीदार ने कहा, गुरुवार को आईपीसी की धारा 294 (अश्लील और अभद्र भाषा का इस्तेमाल), 505 (2) (धार्मिक स्थान पर अपराध) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया. इसके तुरंत बाद आरोपी ने एक वीडियो जारी कर अपने किए पर माफी मांगी.

वीडियो में उन्होंने कहा, 'मैंने अपनी जमीन पर एक मंदिर बनाया और आरक्षित वर्गों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाला एक बोर्ड लगा दिया. मैंने बोर्ड हटा दिया है. मैं उन सभी से माफी मांगता हूं जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं और सभी हिंदुओं का मंदिर में स्वागत करता हूं.

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