Opposition No Confidence Motion: विपक्षी दल कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है और यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है.
No Confidence Motion against Modi Govt: लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पेश किया. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है. विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा, जब मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी.
2018 में भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
इससे पहले, जुलाई 2018 में मोदी सरकार (Modi Govt) के खिलाफ कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था. इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने मत दिया था.
इस बार भी मजबूत स्थिति में मोदी सरकार
साल 2018 की तरह ही इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है, क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में है. लोकसभा में विपक्षी समूह के 150 से कम सदस्य हैं, लेकिन उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए धारणा से जुड़ी लड़ाई में सरकार को मात देने में सफल रहेंगे.
संविधान में है अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख
संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख अनुच्छेद 75 में किया गया है. इसके मुताबिक, अगर सत्तापक्ष इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है. सदस्य नियम 184 के तहत लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं और सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है.
1963 में पहली बार संसद में लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव
भारतीय संसदीय इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव लाने का सिलसिला देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) के समय ही शुरू हो गया था. जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ 1963 में आचार्य कृपलानी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे. इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत पड़े थे, जबकि विरोध में 347 मत आए थे.
इन प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में भी लाया गया अविश्वास प्रस्ताव
पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) के बाद लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह समेत कई प्रधानमंत्रियों को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था.
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