ISRO NSIL INCOME : इसरो ने अंतरिक्ष (Space)की दुनिया में एक और बड़ा कदम रखते हुए 7 सैटेलाइट्स (Satellites) को लॉन्च किया है. PSLV-C56 को श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष में भेजा गया. इसके साथ ही इसरो ने इस साल का तीसरा कमर्शियल प्रोजेक्ट पूरा कर दिया है. ISRO अब एक कमाऊ संस्था बन गई है, कैसे आइए बताते हैं.
ISRO Launched 7 Singaporean Satellites: इसरो ने अपनी कामयाबी की गौरव गाथा को आगे बढ़ाते हुए अंतरिक्ष की दुनिया में एक और बड़ी सफलता हासिल की है. ISRO ने एक साथ 7 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च किया है. इन सभी सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से लॉन्च किया. सिंगापुर के इन सैटेलाइट्स के सफल लॉन्चिंग के साथ-साथ इसरो ने इस साल का तीसरा कमर्शियल लॉन्च पूरा कर लिया है. ISRO यानि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन दिन ब दिन कामयाबी के नए आयाम लिख रही है. हर दिन एक नई सफलता को छूती है. मंगल से लेकर चांद तक हर जगह ISRO की कदमों की छाप है और आज ISRO ने एक और नया कीर्तिमान रच दिया है.
इसरो की गौरव गाथा
ISRO ने कामयाबी की गौरव गाथा को आगे बढ़ाते हुए अंतरिक्ष की दुनिया में एक और बड़ी सफलता हासिल की है. इसरो 1999 से अब तक 36 देशों के 431 विदेशी उपग्रह लॉन्च कर चुका है. इससे पहले ISRO 2023 में दो सफल कमर्शियल लॉन्चिंग को अंजाम दे चुका है. इसी साल मार्च में LVM3 रॉकेट के 36 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था. अप्रैल में PSLV रॉकेट से सिंगापुर के दो उपग्रहों को लॉन्च किया था. जिसने TeLEOS-2 और Lumilite-4 की परिक्रमा की थी.
पूरा होगा ये मिशन
ISRO ने PSLV-C56 रॉकेट की मदद से रडार मैपिंग सैटेलाइट DS-SAR और 6 अन्य सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च किया है. ISRO के मुताबिक 360 KG वजन वाले DS-SAR सैटेलाइट DSTA और ST इंजीनियरिंग, सिंगापुर के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है. लॉन्चिंग के बाद इन सैटेलाइट्स की मदद से सिंगापुर सरकार की अलग अलग एजेंसियां अपने मिशन को पूरा करेगी.
सबसे भरोसेमंद रॉकेट PSLV की रिसर्च रिपोर्ट
ISRO ने 58 वीं अपने सबसे भरोसेमंद रॉकेट PSLV से सिंगापुर के सैटेलाइट को लॉन्च किया है. चलिए अब आपको बताते हैं क्यों ISRO अपने PSLV पर इतना भरोसा करता है और इसकी खासिय़त क्या है?
PSLV को पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल कहा जाता है. इसे ISRO ने ही तैयार किया है. PSLV में लिक्विड रॉकेट इंजन का इस्तेमाल होता है. 1994 में पहली बार इसका सफल लॉन्च हुआ था. भारत का सबसे विश्वसनीय वर्कहोर्स लॉन्च वीइकल है. PSLV की मदद से ही 2008 में चंद्रयान-I लॉन्च किया गया. PSLV से मार्स ऑरबिटर स्पेसक्राफ्ट को मंगल ग्रह भेजा गया. PSLV से धरती की तस्वीरें लेने वाले सैटेलाइट को भेजा जाता है. PSLV 1750 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को SSPO में भेज सकता है.
तीसरे कमर्शियल मिशन के बाद अब इसरो के सूर्य मिशन पर सबकी नजरें टिकी हैं. इसरो अगस्त के अंत में सौर वातावरण का अध्ययन करने के लिए पीएसएलवी रॉकेट पर अपने कोरोनोग्राफी उपग्रह आदित्य एल1 को भेजेगा. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, ISRO के चंद्रयान-3 मिशन की और सबको इंतजार है इसकी चंद्रमा पर सफल लैंडिग का. जिसके साथ ही इसरो बन जाएगा अंतरिक्ष की दुनिया का नया बॉस.
इसरो की कमाई - सैटेलाइट के बिनेस में भारत
ISRO अपनी कमर्शियल सर्विस के जरिए आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही है. रविवार की कामयाबी से पहले भी भारत समय समय पर दूसरे देशों/कंपनियों के सैटेलाइट लॉन्च करता रहा है. इन लॉन्चिंग्स के लिए करीब 12 कमर्शियल मिशन चलाए गए थे. हालांकि ज्यादातर कमर्शियल लॉन्च अमेरिकी कंपनियों के साथ हुए.
तीन साल पहले भारत ने स्पेस सेक्टर में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के रास्ते खोले
साल 2020 में भारत ने स्पेस सेक्टर में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के रास्ते खोल दिए थे. अक्टूबर 2022 में ISRO ने वनवेब के 36 सैटेलाइट्स लॉन्च किए थे. फिलहाल भारत की सैटेलाइट लॉन्चिंग की ग्लोबल मार्केट में हिस्सेदारी 2% है. भारत सरकार चाहती है कि 2030 तक भारत की हिस्सेदारी 10% हो जाए. कमर्शियल सेक्टर को ध्यान में रखते हुए इसरो, स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) डेवलप कर रहा है. इस स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने में लो ऑर्बिट सैटेलाइट लॉन्च करने वाले पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की तुलना में वक़्त और पैसा कम लगता है.
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), इसरो की कमर्शियल ब्रांच है. जिसे साल 2019 में शुरू किया गया था. इसरो के बजट पर आई पार्लियामेंट्री कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक NSIL की कमाई में इजाफा हुआ है. साल 2021-22 में इस कंपनी ने 1 हजार, 731 करोड़ रुपए कमाए. जबकि साल 2022-23 में उसकी कमाई करीब 3500 करोड़ रुपए के पार हो गई. यानी करीब तीन साल में इसकी कमाई तीन गुना तक बढ़ चुकी है. NSIL के अलावा स्पेस डिपार्टमेंट का सेल्फ रेवेन्यू भी बढ़ा है.
ऐसे में आज की लॉन्चिंग ये बताती है कि भारतीय स्पेस एजेंसी जल्द ही और कमाई के साथ कई देशों कै सैटेलाइट लॉन्चिंग का सबसे बड़ा हब बन सकती है.
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