Sex Robots बनाएंगे पार्टनर्स के बीच दूरियां! पूर्व गूगल कर्मचारी ने किया हैरान कर देने वाला दावा

Google के पूर्व कार्यकारी Mohammad 'Mo' Gawdat ने AI के बारे में भविष्यवाणी की है. उनका मानना है कि AI पॉवर्ड सेक्स रोबोट लाइफ में ऐसा घुस जाएंगे कि रियल पार्टनर दूर हो जाएंगे. उनके मुताबिक AI बिस्तर पर ह्यूमन पार्टनर्स को भी रिप्लेस कर देगा.


Google के एक पूर्व अधिकारी ने ऐसा दावा किया है, जिसको सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. उनके मुताबिक AI बिस्तर पर ह्यूमन पार्टनर्स को भी रिप्लेस कर देगा. Google के पूर्व कार्यकारी Mohammad 'Mo' Gawdat ने AI के बारे में भविष्यवाणी की है. उनका मानना है कि AI पॉवर्ड सेक्स रोबोट लाइफ में ऐसा घुस जाएंगे कि रियल पार्टनर दूर हो जाएंगे.

इंटरव्यू में कही ये बात

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, Gawdat ने यूट्यूब पर टॉम बिल्यू के साथ "इम्पैक्ट थ्योरी" पॉडकास्ट पर एक इंटरव्यू में इस बारे में चर्चा की है. Gawdat ने बताया है कि एआई जल्द ही हमें ऐप्पल के विज़न प्रो या क्वेस्ट 3 जैसे विशेष हेडसेट का उपयोग करके वर्चुअल रिएलिटी में नकली सेक्स एक्सपीरियंस प्राप्त करने की अनुमति देगा. ऐसे हेडसेट जिन्हें एआई-संचालित बॉट्स द्वारा संचालित किया जाएगा, हमें वास्तविक सेक्स रोबोट के साथ बातचीत कर रहे होने का महसूस कराएंगे.

Gawdat ने सुझाया है कि हमारे दिमाग को कभी-कभी उन चीजों से भ्रमित किया जा सकता है जो वास्तविकता से अलग होते हैं. यदि एआई इंसानों की तरह कार्य कर सकता है और महसूस कर सकता है, तो हमारे लिए वास्तविकता की पहचान करना मुश्किल हो सकता है. उन्होंने टेक्नोलॉजी के इस संभावना के बारे में भी विचार किया है, जहां वह सीधे हमारे दिमाग से जुड़ी होती है. इससे हमें ऐसा लग सकता है जैसे हम किसी अन्य व्यक्ति से बात कर रहे हैं और भविष्य में हमें किसी मानव साथी की आवश्यकता भी नहीं होगी.

बोले- रियल रिलेशनशिप काफी कॉम्प्लिकेटेड
Gawdat ने बताया है कि रियल ह्यूमन रिलेशनशिप काफी कॉम्प्लिकेटेड और मेसी होते हैं, जिसमें व्यक्तियों के मानसिक और भावनात्मक हिस्से शामिल होते हैं. उनकी दृष्टि में, एक दिन एआई इतना एडवांस हो सकता है कि यह व्यक्ति के करीब आकर उनके प्यार होने के मानसिक और भावनात्मक हिस्से की नकल कर सकता है.

गौदत का मानना ​​है कि एआई के विकास से प्यार और रिश्तों के संबंध में हमारे सोचने के तरीके में भी परिवर्तन होगा. वैसे ही जैसे तकनीक बेहतर होती जा रही है, मानव और कृत्रिम इंटेलिजेंस के बीच अंतर बताना कठिन हो सकता है.

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