फ्यूचर एंड ऑप्शन (FO Trading) में ट्रेडिंग करने वाले रिटेल इन्वेस्टर की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन 10 में से 9 निवेशकों को इसमें भारी नुकसान हो रहा है। कुछ तो अपनी जिंदगीभर की कमाई गंवा बैठ रहे हैं। ऐसे में फाइनेंशियल रेगुलेटर्स मिलकर एक कमेटी बना रहे हैं जो फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग जैसे डेरिवेटिव्स मार्केट के जोखिमों का आकलन करेगी और नीतिगत बदलाव का सुझाव देगी।
पिछले कुछ समय से डेरिवेटिव्स मार्केट (Derivatives Markets) में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ा है। यहां पर लाखों निवेशक रातोंरात अमीर होने का सपना लेकर आते हैं, लेकिन अधिकतर अपनी सारी जमा-पूंजी गंवा देते हैं।
यहां तक कि मार्केट रेगुलेटर SEBI का कहना है कि फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O Trading) जैसे डेरिवेटिव्स में कारोबार करने वाले 10 में से 9 निवेशक कंगाल हो जाते हैं। यही वजह है कि कई मार्केट एक्सपर्ट ने इसे जुआ भी करार दिया है।
अब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि SEBI और रिजर्व बैंक (RBI) जैसे फाइनेंशियल रेगुलेटर ने डेरिवेटिव्स मार्केट में निवेश के बढ़ते जोखिम का आकलन करने के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला किया है। यह कमेटी निवेशकों को बड़े पैमाने पर होने वाले नुकसान पता लगाएगी और अगर जरूरती हुआ, तो नीतिगत बदलाव की सलाह भी देगी।

कमेटी बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
पिछले पांच साल के दौरान में ऑप्शन ट्रेडिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। इसमें खासतौर पर रिटेल इन्वेस्टर्स पैसे लगा रहे हैं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का कहना है कि 2023-24 में ऑप्शन ट्रेडिंग की वैल्यू 907.09 ट्रिलियन डॉलर रही, जो एक साल पहले के मुकाबले दोगुने से अधिक है। यही वजह है कि सरकारी संस्थाओं को लगता है कि इसकी बारीकी से निगरानी की जरूरत है।
कमेटी में कौन-कौन शामिल होगा?
डेरिवेटिव्स मार्केट का आकलन करने वाली कमेटी का गठन फाइनेंशियल स्टेबलिटी डेवलपमेंट काउंसिल करेगी। रॉयटर्स के मुताबिक, इसमें वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर और मार्केट रेगुलेटर SEBI शामिल होंगे। इसके मेंबर और रिपोर्टिंग टाइमलाइन के बारे में बाद में फैसला लिया जाएगा।
पर्सनल लोन के इस्तेमाल पर भी नजर
यह कमेटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के संभावित सिस्टैमिटक रिस्क का आकलन करेगी। साथ ही, निवेशकों के हितों की सुरक्षा और रेगुलेटरी मॉनिटरिंग बढ़ाने के उपाय भी सुझाएगी। यह कमेटी यह भी पता लगाएगी कि कहीं छोटे अनसिक्योर्ड लोन लेने वालों की संख्या में उछाल और ऑप्शन ट्रेडिंग के बीच कोई संबंध तो नहीं है। मतलब कि लोग पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड के पैसों से कहीं ऑप्शन ट्रेडिंग तो नहीं कर रहे हैं।
यह आशंका इसलिए भी अधिक है, क्योंकि बैंक अपने ग्राहकों से यह नहीं पूछते कि वे पर्सनल लोन का इस्तेमाल किस काम में करेंगे। रिजर्व बैंक का डेटा बताता है कि पर्सनल लोन की ग्रोथ में सालाना आधार पर 20 प्रतिशत से अधिक उछाल आया है।
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