RBI ने कोटक महिंद्रा बैंक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब आरबीआई ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए किसी बड़े वित्तीय संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की हो। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि RBI को वित्तीय संस्थानों के खिलाफ एक्शन क्यों लेना पड़ता है और वित्तीय संस्थान अपने कामकाज में किस तरह से सुधार कर सकते हैं।
एक वक्त था, जब बैंक और एटीएम में पैसे निकालने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगता था। लोग अपनी बारी का इंतजार करने के लिए घंटों बाहर खड़े रहते थे। लेकिन, बैंकिंग सिस्टम का डिजिटाइलेशन होने के बाद बैंकिंग लाइन में लगना तकरीबन गुजारे जमाने की बात हो गई है।
ब देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करता है। दूर-दराज के इलाकों में भी सब्जियों के ठेले से लेकर पान की दुकानों पर आपको यूपीआई पेमेंट के स्कैनर लगे मिल जाएंगे। डिजिटल पेमेंट ने लोगों की जिंदगी आसान तो की है, लेकिन इसका एक स्याह पक्ष भी है। इससे जुड़ी धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।
यही वजह है कि बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक (RBI) वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सख्ती बरत रहा है। उसने कोटक महिंद्रा बैंक समेत कई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के खिलाफ अपनी चाबुक चलाई है, जिनके कामकाज में गड़बड़ी पाई गई थी। आइए जानते हैं कि आरबीआई ने किन बैंकों के खिलाफ एक्शन लिया है और इसके बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है।
पहला शिकंजा HDFC बैंक पर
आरबीआई ने साल 2020 में देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक के खिलाफ एक्शन लिया था और उस पर नए क्रेडिट कार्ड कस्टमर जोड़ने और कोई भी नया डिजिटल प्रोडक्ट लॉन्च करने पर अस्थायी रोक लगा दी थी। HDFC बैंक में आरबीआई को डिजिटल बैंकिंग, कार्ड और पेमेंट से जुड़े कई तकनीकी खामियां मिली थीं।
इससे HDFC बैंक की साख को बड़ा धक्का लगा। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि HDFC बैंक के शेयरों ने पिछले पांच साल में सिर्फ 28 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का वर्ल्ड ऐप
बैंक ऑफ बड़ौदा ने सितंबर 2021 में bob World ऐप लॉन्च किया। मकसद था, जब भारतीय स्टेट बैंक के Yono App की तर्ज पर अपना कस्टमर बेस बढ़ाना। इसके लिए बैंक ने अपने कर्मचारियों को बड़े टारगेट दिए। कर्मचारियों ने टारगेट पूरा करने के लिए एक लूपहोल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जो पुराने कस्टमर को भी मोबाइल नंबर के साथ ऑनबोर्ड करने की इजाजत देता था और वह भी टागरेट में जुड़ता था।
जुलाई 2023 में बैंक के ही एक कर्मचारी (व्हिसलब्लोअर) ने इस 'फर्जीवाड़े' की जानकारी मीडिया को दी। फिर आरबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ सख्त एक्शन लिया। कई अधिकारी लेवल के लोग सस्पेंड हुए, कई कर्मचारियों को ट्रांसफर किया गया। आरबीआई ने बाद में bob वर्ल्ड ऐप को भी बंद कर दिया।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक को बड़ा झटका
पेटीएम ने एक वक्त देश में डिजिटल पेमेंट की अगुआई की। इसमें वॉरेन बफेट जैसे दिग्गज निवेशक तक ने पैसे लगाए। लेकिन, पेटीएम पेमेंट्स बैंक से कंपनी को ऐसा झटका लगा, जिससे यह अभी भी उबरने की कोशिश कर रही है। दरअसल, आरबीआई को पेटीएम पेमेंट्स बैंक में कई गंभीर खामियां मिलीं। यहां तक पाया कि कई खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गैरकानूनी कामों के लिए किया गया।
इस साल की शुरुआत में आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को कामकाज बंद करने का आदेश दिया। इससे पेटीएम के सामने वजूद बचाने का संकट तक खड़ा हो गया था। इसके शेयरों में भी भारी गिरावट आई। पेटीएम के शेयरों ने पिछले 6 महीने में करीब 58 प्रतिशत का नेगेटिव रिटर्न दिया है।
इतनी सख्ती क्यों कर रहा RBI
रिजर्व बैंक ना सिर्फ बैंकों, बल्कि IIFL फाइनेंस और जेएम फाइनेंशियल जैसे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) के खिलाफ भी सख्त एक्शन ले चुका है। इनके कामकाज में गंभीर खामियां मिली थी।
आरबीआई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों कर रहा है। इस सवाल के जवाब में असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड में रिसर्च के हेड सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि किसी भी सरकारी रेगुलेटर का काम ऐसा माहौल बनाना होता है, जिसमें सभी पक्षों का हित हो और उन्हें आगे बढ़ने का समान मौका मिले।
सिद्धार्थ ने कहा कि आरबीआई ने रेगुलेशन के मामले में अपनी अलग साख बनाई है। इसने एक बार फिर दिखाया है कि सबके हितों की रक्षा करने वाला इंस्टीट्यूशन है। फिर चाहे बात मॉनिटिरी पॉलिसी की हो या रेगुलेटरी एक्शन की, आरबीआई ने हमेशा मामले को हद से ज्यादा बिगड़ने से पहले ही जरूरी कदम उठा लिए हैं।
समय पर एक्शन लेना RBI की खासियत
सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि कोटक महिंद्रा बैंक पहला मामला नहीं है, जब RBI ने किसी बड़े नाम के खिलाफ चाबुक चलाया हो। इससे पहले HDFC बैंक और हाल ही में पेटीएम के खिलाफ भी एक्शन लिया था, जो उपभोक्ताओं के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।
गड़बड़ी को कैसे सुधार सकते हैं बैंक
आज जब ज्यादातर वित्तीय लेनदेन टेक्नोलॉजी के जरिए होते हैं, तो बतौर रेगुलेटर आरबीआई की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। सिद्धार्थ का कहना है कि अगर वित्तीय संस्थानों को अपने उपभोक्ताओं के हितों से खिलवाड़ किए बिना सेवाएं देना है, तो उन्हें टेक्नोलॉजी में निवेश बढ़ाना होगा। साथ ही, समय के अपडेट और अपग्रेड करते रहना होगा।
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