आज 4 सितंबर, 2024 को गूगल अपने 26 साल पूरे कर रहा है। आज के ही दिन ठीक 26 साल पहले 1998 में गूगल की नींव एक गैराज से पड़ी थी। आज गूगल सर्च इंजन दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सर्च इंजन बन चुका है। गूगल सर्च मार्केट पर करीब 92% हिस्सेदारी रखता है। गूगल इंक की स्थापना लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने 4 सितम्बर 1998 को की थी। इसमें सन माइक्रोसिस्टम्स के सह-संस्थापक एंडी बेचटोल्शेम ने 100,000 डॉलर का निवेश किया था।
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कौन हैं लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन
लैरी पेज का जन्म 26 मार्च, 1973 को ईस्ट लैंसिंग, मिशिगन,अमेरिका में हुआ था। वे एक अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और उद्यमी हैं। लैरी और सर्गेई ब्रिन (Who was Google Founders) की पहचान ऑनलाइन सर्च इंजन को बनाने वालों के रूप में होती है। सर्गेई ब्रिन का जन्म 21 अगस्त, 1973 को मास्को, रूस में हुआ था। सर्गेई ब्रिन अमेरिकी व्यवसायी और कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं।
- यह 1995 की बात है जब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो पीएचडी छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने एक सर्च इंजन प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का नाम बैकरब था।
- 1997 में इस प्रोजेक्ट का नाम बदलकर गूगल कर दिया गया, जो गणितीय शब्द "गूगोल" पर आधारित है।
- 1998 पेज और ब्रिन ने कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क में एक गैराज (Menlo Park, California) में आधिकारिक तौर पर गूगल की स्थापना की।
स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से पड़ा गूगल नाम
गूगल सर्च इंजन का इस्तेमाल आज वीडियो, इमेज, न्यूज, शॉपिंग, बुक, वेब से जुड़ा है। बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि गूगल का नाम गूगल एक स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से पड़ा था। असल में इस सर्च इंजन को पहले गूगोल नाम दिया जा रहा था। गूगोल की जगह गूगल नाम एक गलती थी। जिसे बाद में ठीक करने की जरूरत कभी समझी ही नहीं गई। गूगल हिस्ट्री के मुताबिक, पेज और ब्रिन ने 29 अप्रैल, 2004 को गूगल की आरंभिक सार्वजनिक शेयर पेशकश के लिए आवेदन किया था। कंपनी अगस्त 2004 में सार्वजनिक हुई।
आज गूगल एक केवल एक सर्च इंजन के रूप में नहीं इस्तेमाल किया जाता है। गूगल अपने यूजर्स के लिए कई तरह के प्लेटफॉर्म जैसे जीमेल, फोटोज, मीट, ड्राइव, जेमिनी, डॉक्स, शीट्स, कैलेंडर, चैट्स, कॉन्टैक्ट्स पेश करता है।
2015 में बदल गया था गूगल का नाम
गूगल 2015 में अपनी कंपनी का नाम बदलकर अल्फाबेट कर दिया था। जिसके बाद आज गूगल की पहचान अल्फाबेट की सहायक कंपनी के रूप मं होती है। इस कदम को उठाए जाने का उद्देश्य एंटीट्रस्ट उल्लंघनों से बचना था। इसके साथ ही कंपनी के सभी अधिग्रहणों और सेवाओं को एक प्रौद्योगिकी समूह के रूप में एकजुट करना था।
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