IAS Madhumita Success Story: मधुमिता ने परीक्षा की तैयारी के दौरान अपने भाई की शादी में शामिल न होने और अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करने का फैसला किया था.
IAS Madhumita Success Story: कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प दो ऐसी चीजें हैं, जो आपको जिंदगी में कुछ भी हासिल करने में मदद कर सकती हैं. आईएएस मधुमिता की सफलता की कहानी इसका प्रमुख उदाहरण है. भले ही आईएएस मधुमिता को अपनी जिंदगी में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे अपने लक्ष्यों के बीच नहीं आने दिया. आईएएस मधुमिता ने पांच साल घर से दूर बिताए, खुद को सोशल मीडिया से दूर रखा और यहां तक कि अपने भाई की शादी को भी मिस किया, तब जाकर वह कहीं मधुमिता से आईएएस मधुमिता बन पाईं.
मधुमिता के सभी बलिदान सफल रहे और उन्होंने साल 2019 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 86वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर ली. मधुमिता को साल 2017 और 2018 में कुछ असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी कमजोरियों पर कड़ी मेहनत की और अपने तीसरे प्रयास के लिए दिल्ली आ गईं, जो उनकी यूपीएससी की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
यह उनका समर्पण ही था, जिसने आईएएस मधुमिता को टॉप 100 उम्मीदवारों में जगह दिलाई.
आईएएस मधुमिता ने बताया कि उन्हें पिछले दो प्रयासों में निराशा का सामना करना पड़ा था. साल 2017 में वह सफलतापूर्वक मेंस के स्टेज तक पहुंच गई थीं, लेकिन इंटरव्यू पास नहीं कर सकीं. वहीं, साल 2018 में वह प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं.
आईएएस मधुमिता ने अपने तीसरे प्रयास के दौरान सोशल मीडिया का यूज करना छोड़ दिया और खुद को अपने परिवार से भी अलग कर लिया. उस समय अपने भाई की शादी के दौरान आईएएस मधुमिता ने शादी में शामिल न होने और अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करने का फैसला किया.
उनका यह बलिदान सफल हुआ और उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा किया.
हरियाणा के पानीपत की रहने वाली मधुमिता बचपन से ही विद्वान थीं, उन्होंने 2010 में समालखा के महाराणा प्रताप पब्लिक स्कूल से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया था. वहीं, साल 2012 में उन्होंने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी.
उनके पास पानीपत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (पीआईईटी), समालखा से हासिल की गई BBA की डिग्री भी है और वह यूनिवर्सिटी टॉपर भी रहीं हैं.
मधुमिता के पिता की आकांक्षा थी कि उनकी बेटी एक अधिकारी बनें और शादी से पहले उन्होंने मधुमिता की नौकरी को प्राथमिकता भी दी.
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