शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने शुक्रवार को राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू को संबोधित करते हुए कड़ा पत्र लिखा है और उनके द्वारा लिखे पत्रों का करारा जवाब दिया है। केके पाठक ने पत्र के माध्यम से राज्यपाल के प्रधान सचिव से कहा है कि कुलाधिपति को विभागीय मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि कुलाधिपति के पास शिक्षा विभाग को निर्देश देने का अधिकार नहीं है।
राज्यपाल के प्रधान सचिव से जवाब भी मांगा
अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने अपने पत्र के माध्यम से राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू से कहा है कि आप अपने पूर्व के पत्र को लेकर यह स्पष्ट कीजिए कि आप राज्यपाल के प्रधान सचिव के रूप में या कुलाधिपति के प्रधान सचिव के रूप में निर्देश रहे हैं।
यदि निर्देश राज्यपाल की ओर से हैं, तो मुझे इसके अलावा कुछ नहीं कहना है। महामहिम की उच्च संवैधानिक स्थिति को देखते हुए, यह अधिक उपयुक्त होता कि संबंधित मामलों को मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री के समक्ष उठाया जाता। यदि आप कुलाधिपति की ओर से निर्देश दे रहे हैं, तो शिक्षा विभाग को उनके हस्तक्षेप पर गंभीर आपत्ति है।
विभाग के पास यूनिवर्सिटी एक्ट को लागू करने का दायित्व
अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कहा है कि शिक्षा विभाग के पास बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 को लागू करने का पूरा दायित्व है।
अधिनियम की धारा 7 के तहत कुलाधिपति भी कुलपति, रजिस्ट्रार की तरह विश्वविद्यालय के एक अधिकारी है। वह विभाग को कोई निर्देश नहीं दे सकते हैं।
कुलाधिपति के पास इस विभाग के निर्देश के विपरीत विश्वविद्यालय के किसी अन्य अधिकारी को कोई निर्देश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।
विवि के अधिकारियों के बीच विद्रोही व्यवहार को भड़काने की अनुमति नहीं
केके पाठक ने पूछा- किस नियम से कुलपति को किसी बैठक में भाग लेने हेतु कुलाधिपति की अनुमति की जरूरत अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने अपने पत्र के माध्यम राज्यपाल के प्रधान सचिव से पूछा है कि 29 फरवरी को आपने स्वीकार किया है कि कुलाधपति ने कुलपतियों को शिक्षा विभाग की ओर से बुलायी गयी बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी है।
इसमें आप बताएं कि किस नियम के तहत कुलपति को किसी बैठक में भाग लेने के लिए कुलाधिपति की अनुमति की जरूरत है तथा किस नियम से कुलाधिपति इस पर रोक लगाते हैं?
पत्र में यह भी राबर्ट एल. चोंग्थू से कहा है कि आपने सेक्शन-9 का उदाहरण दिया है कि कुलाधिपति को विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक और प्रशासनिक सुधार को लेकर निर्देश देने का अधिकार है।
इस पर कहना है कि कुलाधिपति को विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों के बीच विद्रोही व्यवहार को भड़काने और अराजकता पैदा करने की अनुमति नहीं है। इस शक्ति के तहत कुलाधिपति विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को विभाग की अवहेलना करने के लिए नहीं कह सकते हैं।
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