BhaiShree Ramesh Bhai Oza: कौन हैं रमेशभाई ओझा, मुकेश अंबानी जिन्हें मानते हैं अपना गुरु

Spiritual Guru Rameshbhai Oza: भारत को कभी सोने की चिड़िया और विश्व गुरु जैसे संबोधनों से पुकारा जाता था. देश को सही दिशा देने में संत और महात्माओं का अहम योगदान रहा है. देश की आध्यात्मिक शक्तियों की दुनिया आज भी कायल है. ऐसे में बात आध्यात्मिक गुरु रमेशभाई ओझा की जिनका जीवन मानवता के कल्याण में समर्पित हैं.

Guru: रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और उनकी फैमिली के बारे में यूं तो आप बहुत सी बातें जानते होंगे, लेकिन उनके आध्यात्मिक गुरु के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. ऐसे में आज आपको बताते हैं भारत के सबसे धनी लोगों में शामिल मुकेश अंबानी की चेतना को मजबूत करने वाले उस संत के बारे में जिनका नाम रमेशभाई ओझा (Rameshbhai Oza) है. उनके भक्त उन्हें भाईश्री महाराज के नाम से भी पुकारते हैं. अंबानी परिवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक रमेशभाई ओझा धीरूभाई अंबानी के समय से ही फैमिली के गुरु थे.

कौन हैं रमेशभाई ओझा?

रमेशभाई ओझा देश के सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु और प्रेरक वक्ताओं में से एक हैं. उन्हें अंबानी परिवार से निकटता के लिए भी जाना जाता है. रमेशभाई ओझा ने अपना पूरा जीवन पूरी दुनिया में भगवान की कथा और धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से सनातन धर्म के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है. वह भारतीय संस्कृति के पोषण के लिए शिक्षा को एक शक्तिशाली उपकरण मानते हैं और बच्चों को ज्ञानवान बनाने के साथ उनके समग्र विकास की बात करते हैं. रमेशभाई को बड़ी से बड़ी समस्याओं के व्यावहारिक समाधान के लिए भी जाना जाता है. उनका आदर्श वाक्य "वसुधैव कुटुम्बकम" है, जिसके तहत वो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानते हैं. वह मानवता को भलाई के साथ, शांति, प्रेम, करुणा और भाईचारे के भाव को मजबूत करने के साथ लोगों की आध्यात्मिक चेतना को जगाते हैं.

अंबानी परिवार के मार्गदर्शक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि रमेशभाई ओझा ने ही उद्योगपति मुकेश अंबानी को उनके महत्वपूर्ण व्यावसायिक फैसलों को पूरा करने में अपने सुझावों के माध्यम से बड़ी भूमिका निभाई है. ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मुकेश अंबानी अपने सभी बड़े वित्तीय और पारिवारिक फैसले अपने आध्यात्मिक गुरु से परामर्श करने के बाद ही लेते हैं.

रमेशभाई ओझा के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब स्वच्छ भारत मिशन की लॉन्चिंग की थी तो उन्हें भी इसका हिस्सा बनाया था. यही नहीं पीएम मोदी ने क्लीन इंडिया को लेकर रमेशभाई ओझा के प्रयासों की सराहना भी की थी. 

आध्यात्मिक संत भाईश्री का जन्म 1957 को गुजरात में सौराष्ट्र के तटीय जिले में स्थित एक छोटे से गांव देवका के एक ब्राह्मण परिवार हुआ था. उनकी दादी श्रीमद्भागवत का पाठ करती थीं. भाईश्री के जीवन पर उनका गहरा प्रभाव था. बताया जाता है कि भाईश्री ने 13 वर्ष की उम्र में  पहली बार श्रीमद्भगवद गीता कथा का पाठ किया था. उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा संस्कृत स्कूल से हुई. बाद में वो अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए मुंबई पहुंचे. भाईश्री को धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों से गहरा लगाव है. 


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