सैनी ने आगे लिखा है कि पुरुषों के लिए अलग से कोई कानून अस्तित्व में नहीं है. याचिका में कहा गया है कि कई महिलाएं घरेलू हिंसा कानून का दुरुपयोग कर रही हैं, लेकिन पीड़ित पुरुषों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. वहीं कई मामलों में महिलाएं सहमति से संबंध बनाती हैं और बाद में पुरुष को ब्लैकमेल करने के लिए दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट में एक दिलचस्प याचिका दाखिल की गई है जिसमें पुरुष वर्ग के हितों की रक्षा करने के लिए कानून बनान की मांग की गई है. इसमें घरेलू हिंसा, संबंध बनाने के बाद ब्लैकमेल करने, रेप का आरोप लगाने जैसी बातों का जिक्र किया गया है. पुरुष आयोग के गठन की गुहार करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है. हाईकोर्ट की खंडपीठ इस मामले में ग्रीष्मावकाश के बाद सुनवाई करेगी. ऋचा सैनी की ओर से पेश इस जनहित याचिका में कहा गया है कि संविधान में महिलाओं के कल्याण के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. वहीं, उनका सामाजिक जीवन स्तर उठाने और सामाजिक सुरक्षा के लिए कई कानूनों का भी निर्माण किया गया है.
सैनी ने आगे लिखा है कि पुरुषों के लिए अलग से कोई कानून अस्तित्व में नहीं है. याचिका में कहा गया है कि कई महिलाएं घरेलू हिंसा कानून का दुरुपयोग कर रही हैं, लेकिन पीड़ित पुरुषों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. वहीं कई मामलों में महिलाएं सहमति से संबंध बनाती हैं और बाद में पुरुष को ब्लैकमेल करने के लिए दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं.
ऐसे मामले में पुरुष को साबित करना पड़ता है कि उसने दुष्कर्म नहीं किया है. इसके अलावा कई महिलाएं सरकारी नौकरी में तलाकशुदा का आरक्षण लेने के लिए शादी के तुरंत बाद तलाक ले लेती हैं. इस वजह से पुरुषों को झूठे मामलों में फंसाया जाता है. उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.
याचिका में क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया कि पुरुषों की आत्महत्या का एक बड़ा कारण महिलाओं की प्रताड़ना भी है. महिलाएं कानूनों को हथियार के रूप में काम में लेकर पुरुषों को प्रताड़ित कर रही हैं. इसके बावजूद पुरुषों के बाद ऐसा कोई मंच नहीं है, जहां वे अपनी पीड़ा बता सकें. ऐसे में प्रदेश में पुरुष आयोग का गठन किया जाना चाहिए.
0 Comments