Brij Bhushan Sharan Singh Case: बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगे पॉक्सो के केस को पुलिस ने रद्द करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही कैंसिलेशन रिपोर्ट दायर की है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर बृजभूषण शरण सिंह को पॉक्सो केस में राहत मिल जाएगी
Wrestlers Protest india: महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के आरोप में दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है लेकिन नाबालिग पहलवान की ओर से दर्ज केस में उन्हें राहत मिली है. पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहे पॉक्सो केस में पुलिस ने केस रद्द करने के आग्रह के साथ कैंसिलेशन रिपोर्ट दायर की है. पुलिस का कहना है कि इस केस में पीड़ित और उसके पिता के बयान के आधार हमने केस रद्द करने का आग्रह किया है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर बृजभूषण शरण सिंह को पॉक्सो केस में राहत मिल जाएगी?
SC के फैसले में दी गई व्यवस्था
कानूनी जानकारों का कहना है कि इस केस में पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट दायर होने भर से ही बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो का केस खत्म नहीं होगा. भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त (1985) के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे कि कैसे किसी केस में फाइनल रिपोर्ट दायर होने के बाद निचली अदालत के जज कैसे कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाएंगे.
पुलिस की रिपोर्ट के बाद कोर्ट के सामने विकल्प
पुलिस की ओर से कैंसिलेशन रिपोर्ट दायर होने के बाद कोर्ट के पास रिपोर्ट को स्वीकारने या खारिज करने के विकल्प रहेंगे.
1. कोर्ट रिपोर्ट को अस्वीकार कर सकता है और ये मानते हुए कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सबूत है, कोर्ट आरोप पर संज्ञान ले सकता है.
2. कोर्ट पुलिस की फिर से जांच करने का निर्देश दे सकता है
3. कोर्ट रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई को बंद कर सकता है.
पीड़ित का पक्ष भी सुना जाएगा
अगर कोर्ट रिपोर्ट को खारिज कर देता है, तब तो पीड़ित को नोटिस करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैसी सूरत में उसका हित प्रभावित नहीं होगा लेकिन अगर कोर्ट अपराध न होने के होने को लेकर पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट से सहमत होता है तो उसे पीड़ित को नोटिस जारी करना होता है. ऐसी सूरत में पीड़ित को कोर्ट में ऐतराज जाहिर करने का अधिकार होता है. पीड़ित चाहे तो पुलिस की रिपोर्ट के विरोध मे अर्जी दायर कर सकती है और उसके ऐतराज पर गौर के बाद कोर्ट तय करेगा कि क्या केस को बंद किया जाए या नहीं.
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