Bihar Politics: बिहार में प्रचार के दौरान इन उम्मीदवारों की हुई थी हत्या, बड़ी लंबी है लिस्ट; पढ़ें सभी के नाम

Bihar News बिहार में प्रचार के दौरान ही कई उम्मीदवारों की हत्या हो चुकी है। इन उम्मीदवारों की लिस्ट लंबी है। कुर्ता बदलने में जितना समय लगता है उतनी देर में नेता के दल बदलने का चलन है। एक दौर वह था जब प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को मैदान से हटाने के लिए चुनाव प्रचार का रूख भांपकर ढेर कर देते थे।


Bihar Political News Today: राजनीति में कोई स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता, कल के दोस्त जानी दुश्मन बन जाते हैं और दुश्मन दोस्त। कुर्ता बदलने में जितना समय लगता है उतनी देर में नेता के दल बदलने का चलन है। एक दौर वह था जब प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को मैदान से हटाने के लिए चुनाव प्रचार का रूख भांपकर ढेर कर देते थे।

तारीख - 27 फरवरी 1985। स्थान मसौढ़ी। चुनाव प्रचार समाप्त हो चुका था। उम्मीदवार बूथ मैनेजमेंट के लिए कूच करने वाले थे। कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे जनेश्वर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी।
दो दिन बाद 29 फरवरी को मतदान होना था और प्रचार समाप्ति के साथ एक उम्मीदवार का अंत हो गया। मतदान रद्द करना पड़ा था। कांग्रेस ने उनकी पत्नी पूनम देवी को मसौढ़ी से टिकट दिया और वह विधानसभा पहुंच गई। 

मनेर में विधायक रामनगीना सिंह हुए शिकार
सन् 1967 में मनेर की राजनीति में एक युवा नेता का उदय हुआ। नाम था-रामनगीना सिंह। कांग्रेस विधायक बुद्धदेव सिंह को पराजित कर निर्दलीय विधानसभा तक पहुंच गए। जनवरी 1984 मकर संक्रांति का दिन था। रात में घर लौट रहे थे कि उनकी हत्या कर दी गई। कांग्रेस ने उनकी पत्नी को उप-चुनाव में टिकट दिया और वह विधानसभा पहुंच गई। 

दानापुर में हुई थी लाठी रैली के दिन हत्या
विधानसभा का चुनाव फरवरी 2005 में होना था। चुनावी तैयारी के लिए पूर्व पटना में लाठी रैली का आयोजन किया गया था। रैली के वापसी के दौरान दानापुर के सरारी में जिला परिषद के तत्कालीन सदस्य आशा सिन्हा के पति सत्यनाराण सिन्हा की हत्या कर दी गई। फरवरी में हुए चुनाव में भाजपा ने आशा सिन्हा को टिकट दिया और वह चुनाव जीत गई।

2009 लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के सहयोगी ढेर
वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव के पहले राजद के मंत्री रहे विजय कृष्ण जदयू में शामिल हुए थे। जदयू ने उन्हें बाढ़ से टिकट दे दिया। चनाव प्रचार शांत हो रहा था कि पटना में जदयू उम्मीदवार के निकट सहयोगी सत्येंद्र सिंह की हत्या कर दी गई।

हालांकि इस घटना में विजय कृष्ण और उनके पुत्र ही आरोपित किए गए। वर्ष 2015 में विधान सभा चुनाव के दौरान लूलन शर्मा और दानापुर नगरपालिक चुनाव के पहले उपाध्यक्ष दीपक मेहता को ढेर कर दिया गया। हालांकि कई मामले में राजनीति प्रतिद्वंदिता के साथ आर्थिक प्रतिद्वंदी की कार्रवाई बताया गया। 

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