एक और जहां शिक्षा विभाग शिक्षकों पर निरीक्षण कर कार्रवाई करने का दम भरता है। वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग अपनी ही कार्यशैली के कारण आलोचना का शिकार हो रहा है।
मामला खैरा प्रखंड के 825 नियोजित शिक्षकों की महंगाई भत्ते की एरियर से जुड़ा हुआ है। खैरा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा लगभग तीन माह पूर्व एरियर भुगतान के लिए बिल दिए जाने के बावजूद अब तक भुगतान नहीं हो सका है।
87 दिनों बाद भी नहीं हुआ बिल का भुगतान
यूं कहें कि 87 दिनों बाद भी एक टेबल से बिल पास नहीं हो सका। खैरा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी महेश कुमार बताते हैं कि हमने तो 30 जनवरी को ही बिल जिला को भेज दिया है परंतु भुगतान नहीं किया गया तो इसमें हम क्या कर सकते हैं।
'मेरे पास नहीं आया बिल...'
इस मामले में मजेदार बात यह है कि शिक्षा विभाग में कार्यरत लिपिक अशोक कुमार बताते हैं कि अब तक मेरे पास खैरा का बिल नहीं पहुंचा है। यह बिल बीते जनवरी माह से ही लिपिक पीयूष कुमार के पास है। जिस कारण अब तक भुगतान नहीं हो पाया है।
इस प्रकार की लापरवाही के कारण शिक्षकों द्वारा शिक्षा विभाग तथा डीपीओ स्थापना की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। महंगाई भत्ता का एरियर भुगतान नहीं होने के कारण शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है।
शिक्षक संघ ने कहा है कि एक हफ्ते के अंदर यदि खैरा के शिक्षकों की महंगाई भत्ते का एरियार भुगतान नहीं किया गया तो हम जिलाधिकारी जमुई तथा केके पाठक (KK Pathak) से शिकायत की जाएगी।
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