डिजिटल अरेस्ट घोखाधड़ी मामले में 1000 स्काइप आईडी ब्लॉक, साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर मिल रही शिकायतें

 इसके साथ ही दूरसंचार विभाग ने भी आम नागरिकों को साइबर अपराधियों के प्रति सावधान रहने की हिदायत दी है। आइ4सी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) बड़ी संख्या में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की शिकायतें मिल रही है। उन्होंने कहा कि यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है जिसके सीमापार से सिडिकेट द्वारा चलाये जाने के सबूत मिल रहे हैं।

डिजिटल अरेस्ट कर घोखाधड़ी के बढ़ती शिकायतों के बीच जांच एजेंसियां भी इसकी रोकथाम की कोशिश में जुट गई है। गृहमंत्रालय के तहत आनेवाले इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) ने डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी से जुड़े 1000 स्काइप आईडी को ब्लॉक किया है। डिजिटल अरेस्ट में पीडित को स्काइप के माध्यम से लगातार निगरानी में रखा जाता है और ठगी करने के बाद ही उसे मुक्त किया जाता है।

साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर मिल रही शिकायतें

इसके साथ ही दूरसंचार विभाग ने भी आम नागरिकों को साइबर अपराधियों के प्रति सावधान रहने की हिदायत दी है। आइ4सी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) बड़ी संख्या में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की शिकायतें मिल रही है। इन मामले में अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, आरबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के अधिकारी का रूप धारण कर धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है, जिसके सीमापार से सिडिकेट द्वारा चलाये जाने के सबूत मिल रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आइ4सी इन साइबर अपराधों से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, आरबीआई और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यही नहीं राज्य पुलिस को ऐसे मामलों की जांच के लिए जरूरी तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है।

इसके साथ अपराध में प्रयुक्त सिम कार्ड, मोबाइल उपकरणों और म्यूल खातों को ब्लाक करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले से निपटने के लिए आम लोगों की जागरूकता जरूरी है। डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए ऐसी काल आने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल कर रिपोर्ट करने से तत्काल मदद मिल सकती है।

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