यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने ऐसे संस्थान जो बिना अनुमति के उनका लोगो इस्तेमाल कर रहे हैं उनको लेकर सख्ती दिखाई है। यूजीसी ने ऐसे सभी संस्थानो को साइन बोर्ड और लेटर हेड सहित अन्य जगहों से हटाने का निर्देश दिया है और साथ ही कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो संस्थानों पर फर्जीवाड़ा करने के चलते कानूनी और पुलिस दोनों ही कार्रवाई की जाएगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) ने अपने लोगो का बगैर अनुमति के इस्तेमाल करने वाले शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े निजी संस्थानों पर सख्ती दिखाई है। साथ ही ऐसा करने वाले संस्थानों को चेताया है और कहा कि वह जल्द ही गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे उनके लोगो को अपने साइन बोर्ड और लेटर हेड से हटाए अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिसमें उनके खिलाफ फर्जीवाड़ा करने के मामले में कानूनी और पुलिस दोनों ही कार्रवाई की जाएगी।
आयोग को निजी संस्थानों को लेकर मिली थी शिकायत
आयोग को हाल ही में देश के करीब दर्जन भर निजी संस्थानों को लेकर शिकायत मिली है, जो उसके लोगो व नाम का गलत तरीके से इस्तेमाल कर छात्रों के साथ धोखाधड़ी कर रहे है। आयोग ने कहा कि उससे संबद्ध सभी संस्थानों की सूची बेवसाइट पर मौजूद है। ऐसे में इन संस्थानों के जाल में फंसने से पहले यूजीसी की बेवसाइट पर संस्थानों की जांच परख जरूर कर लेनी चाहिए। गौरतलब है कि यूजीसी इससे पहले देश में फर्जी तरीके से चल रहे 20 विश्वविद्यालयों को चिन्हित किया था। बाद में इन्हें फर्जी विश्वविद्यालय घोषित करने की कार्रवाई भी की थी।
उच्च शिक्षा संस्थानों में लीडरशिप प्रोग्राम चलाएगा यूजीसी
आने वाले दिनों में उच्च शिक्षण संस्थान अपने यहां ज्यादा से ज्यादा छात्रों को कैसे उच्च शिक्षा से जोड़ा जा सके, वह अपनी खूबियों की छाप को कैसे वह दुनिया भर में छोड़ सके, इसे लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) इसे लेकर देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में एक लीडरशिप प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी में है। जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों को न सिर्फ क्षमता निर्माण के लिए मदद की जाएगी बल्कि उनके शोध व शैक्षिक गतिविधियों को पूरी दुनिया तक भी पहुंचाया जाएगा।
2035 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात 50% तक पहुंचाने का लक्ष्य
यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों के विकास के लिए यह अहम पहल ऐसे समय शुरू की है, जब देश में 2035 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को पचास प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा समय में देश में उच्चशिक्षा का जीईआर करीब 27 प्रतिशत है। ऐसे में अगले दस सालों में उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने जीईआर को दोगुना करना होगा। यह तभी संभव हो सकता है, जब संस्थानों के पास मौजूदा क्षमता में भी दोगुने की बढ़ोत्तरी हो।
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