सोशल मीडिया कंटेट से जुड़े उद्योग का होगा अध्ययन,NITI AAYOG की टीम करेगी स्टडी

भारतीय युवा सोशल मीडिया व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेट क्रिएट करना काफी पसंद है। कॉरपोरेट उद्योग की नजर भी कंटेट बनाने वाले इन लोगों पर है। सोशल मीडिया व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को लेकर बढ़ते क्रेज पर नीति आयोग की एक टीम अध्ययन करेगी। इस अध्ययन का उद्देश्य कंटेट क्रीएटर्स या इससे जुड़े उद्योग पर कोई अंकुश लगाना नहीं है। पढ़ें पूरी खबर....

 भारत में सोशल मीडिया पर कंटेट बनाने का उद्योग तेजी से फैल रहा है। बहुत ही सस्ता इंटरनेट और गांव-गांव तक कनेक्टिविटी की सुविधा की वजह से भारतीय युवा सोशल मीडिया व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेट क्रिएट कर न सिर्फ लोकप्रियता कमा रहे हैं बल्कि इससे अच्छी खासी कमाई भी करने लगे हैं।

कॉरपोरेट उद्योग की नजर भी कंटेट बनाने वाले इन लोगों पर है। ऐसे में सरकार की तरफ से इस पूरे उद्योग की नए सिरे से एक समीक्षा कराने का फैसला किया गया है ताकि भविष्य में इसको प्रोत्साहित करने व इस पूरे उद्योग को एक सकारात्मक दिशा देने की जरूरत हो तो वह काम किया जा सके। यह अध्ययन नीति आयोग (Niti Aayog) की एक टीम करेगी।

नीति आयोग करेगी स्टडी

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इसका उद्देश्य कंटेट क्रीएटर्स या इससे जुड़े उद्योग पर कोई अंकुश लगाना नहीं होगा बल्कि सिर्फ सूचना व आंकड़ें जुटाना होगा। एक दिन पहले ही एक कार्यक्रम सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक कार्यक्रम में बताया है कि भारत में कंटेट क्रीएटर्स इकोनमी को बढ़ावा देने के लिए यहां के युवाओं को बेहतरीन प्रशिक्षण देने की मंशा रखती है।

इसके लिए भारत में विश्वस्तरीय सुविधाएं व विश्वविद्यालय स्थापित करने में सरकार मदद करेगी जो मनोरंजन, मीडिया व शिक्षा के क्षेत्र भारतीय प्रतिभाओं को सामने लाएंगे। मंत्रालय ने इसके लिए गोवा में आयोजित होने वाले विश्वविख्यात गोवा फिल्म फेस्टिवल के साथ ही व‌र्ल्ड आडियो-विजुअल एंड इंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) का का आयोजन करने जा रहा है।

नीति आयोग की तरफ से किया जाने वाला अध्ययन इस योजना को अमली जामा पहनाने में मदद करेगा। भारत में कंटेट क्रीएटिंग उद्योग के आकार के बारे में सरकार की तरफ से अभी तक कोई अध्ययन नहीं है। पिछले वर्ष अर्नस्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में कंटेट बनाने का पूरा उद्योग (विज्ञापन, राजस्व आदि सब) वर्ष 2028 तक 24 अरब डॉलर का हो जाएगा।

दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म क्लासप्लस

महानगरों से ज्यादा मझोले व छोटे शहरों में इसके विस्तार की संभावना बताई गई है। ऑनलाइन वीडियो क्रीएट करने में यूट्यूब के बाद दुनिया का दूसरे सबसे बड़े प्लेटफॉर्म क्लासप्लस के सीईओ व सह-संस्थापक मुकुल रुस्तोगी का कहना है कि 78 फीसदी हमारे कंटेट बनाने वाले गैर महानगरीय शहरों, अ‌र्द्ध-शहरी या ग्राामीण क्षेत्रों से आ रहे हैं। सिर्फ एजुकेशन ऐप के तौर पर शुरू करने के बावजूद तीन से चार वर्षों में हमारे प्लेटफॉर्म से यूपीएससी, स्कूल परीक्षाओं से लेकर योगा, शेफ व दूसरे क्षेत्रों के क्रीएटर्स को यह पसंद आने लगा है।

क्लासप्लस को वैश्विक स्तर पर विस्तारित करने में जुटे रूस्तोगी बताते हैं कि भारतीय कंटेट उद्योग के विस्तार से रोजगार के भी बड़े अवसर सृजित होंगे। वह क्लासप्लस प्लेटफार्म पर एक आर्गेनिक किसान का वह उदाहरण देते हैं जो अपने वीडियो से दो लाख रुपये प्रति माह की कमाई कर रहा है। जबकि यूपीएससी की तैयारी करने वाले एक शिक्षक ने सिर्फ दो वर्षों में आठ करोड़ रुपये की कमाई की है।

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